अचानक तेरी याद आ जाती है,
भूलने की कोशिश करूं तो याद बढ़ती जाती है।
बिन तुम्हें देखे चैन नहीं आती है,
देख लू तुझे तो चैन खो जाती है।
हाथ डालू तो अपने आप चल जाती है,
रोको तो फन फैलाती है।
कब डांस मार दे समझ में नहीं आती है,
यह सोच में ही हाथ गीली हो जाती है।
हाथ धोने जाऊं तो कपड़ा भीग जाता है,
इसी आलम में सुबह हो जाता है।
कपड़ों का क्या है वह तो यूं ही सूख जाता है,
पर दाग क्या वह तो बिना धोए यूं ही नहीं जाता है।
पर चलो दाग धुल भी जाए,
पर खुशबू कहां जा पाती है।
यह खुशबू ही तो पिछले दिन की याद दिलाती है,
फिर अचानक हाथ चलती है और कहानी शुरू हो जाती है।
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