QUOTES ON #MANZAR

#manzar quotes

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6 MAR 2019 AT 22:08

Ab sare aam ek kaam hoga...
Labo pe shayad uske bhi naam hoga...
Hogai aj mohabbat nilam hamari...
Ab to meri tabahi ka manzar aam hoga!

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30 SEP 2019 AT 23:06

या यूं बरस कर कहना चाहते हो कुछ हमसे
कहीं तुमने पानी से बाढ़ का मंज़र बन दिया
तो कहीँ तुमने पानी का काल कर दिया
आखिर प्रकृति का कैसा कहर है ये
जो रोके से भी ना रुके
पानी से ही है ये सृष्टि
बिन पानी जग ना संसार
तुम इतना भी मत बरसो की
की लोगो की ज़िंदगी तक उजड़ जाए






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14 NOV 2019 AT 0:06

Ishq ke manzar aise hi nahin
bhulaaya kartey,
Apno se yoon ashk nahin
Chhupaaya kartey.

Naraazgii door ho sakti
hai mohobbat se bhi,
Yoon har baat pey khanjar
nahin uthaaya kartey.

Ummeed-E-wafa har kisi se
nahin lagaaya kartey,
Sab log wafadaari se rishtey
nahin nibhaaya kartey.

Har shaks liye baitha hai
yaha muthhi mein namak,
Apne zakhmo'n ko sar-E-mehfil
nahin dikhaaya kartey.



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8 MAY 2021 AT 12:04

Maanate hai,,
Aankhe band karne se manzar nhi badalte...
Par,,
Jab tak aag na lagaya jaay, kuch bhi nhi jalate..

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7 APR 2020 AT 21:31

ठहर जाओ कुछ वक़्त और...
उस वक़्त के लिए,
वो ख़ुशियों की गूंज भी होगी,
जगमगाता शहर का मंज़र भी होगा।

पाला है जिन पुराने दरख़्तों ने..
हमें अपनी छाव में,
उनकी ख़ुशी,उनकी सेहत का,
और भी ख़्याल रखना होगा।

शुक़्रगुज़ार हो उन हाथों के..
रूके नहीं जो हमें महफ़ूज़ रखने को,
निभाकर फर्ज़ ज़िम्मेदारी से,
साथ मिलकर हमें लड़ना होगा।

समझदारी से बनाए गए..
कायदे और उसूलों पर चलें,
अपने मुल्क़ को हमें ही,
इस परेशानी से निकालना होगा।

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12 SEP 2020 AT 1:23

वतन से दूर कहाँ अपनी राहतें होंगी
यहीं जिएंगे हम यहीं पे तुर्बतें होंगी

मैं एक मुल्क का सपना लिए निकलता हूँ
जहाँ न ज़हमतें और ना ही नफ़रतें होंगी

जिगर में कैद हैं अभी तो तुम सुकून से हो
जुनूँ जो कैद से निकला बगावतें होंगी

कहो वो बात जिसे कोई भी न कहता हो
दौर-ए-ज़ुल्मात की ये ही ज़रूरतें होंगी

हयात-ए-मुफ़्लिसी में और मज़ा है 'अर्हत'
न होंगी शोहरतें पर साथ फुरसतें होंगी

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21 DEC 2017 AT 20:58

Ke pahle ishq sirf dilo me tha
Jo ab zubaan per aaya h to
Dil hi zubaan ban aaya h
Ishq to pahle bhi tha per ab ishq me ek nya manzar aaya h

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30 MAR 2020 AT 1:29

खुद का दर्द बयां नहीं कर पाए,
पर तेरा दर्द समझते हैं।।

क्यूंकि दर्द के उस मंज़र से,
हम हर रोज़ गुजरते हैं।।

तुझे इल्म ना हो उस दर्द की,
इसलिए चुप हम रहते हैं।।

जहां बांट लो तुम इस दर्द को,
चलो उस मोड़ पर चलते हैं।।

–Supriya Jha ❤️









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26 NOV 2019 AT 13:57

मौसमी उसके प्यार का मंजर हो गया
मेरी ज़ुबान नहीं, अब खंजर हो गया

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2 DEC 2020 AT 0:42

Anqareeb manzar se hatne wali hu meinn.
Mumkin hai aap mjhe talash karenge hr roz.

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