निवाले काट कर, पाई-पाई जोड़ी,
तिल तिल तपा कर सपना बटोरा,,
मन को मार कर, अरमान संजोया,
तब उसने सुन्दर एक घरौंदा बोया,,
पर क्या था मालूम उस नादान को,
हर ख्वाब जायेगा किसी साजिश में तोड़ा,,
क्यों कि लालची दलालों ने तो उसे पहले ही
'कहीं का न छोड़ा'...................
(( 'RIP' for dead people under
destroy building of greater Noida))
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