सब जानते हैं यह जिंदगी एक खेल है ,
मेरे पास इसको भेजने को एक मेल है ,,
सबसे पहली लाइन में, मैं यही लिखूंगी ,
उससे रुठने का बहाना करूंगी ,,
अब तो बता दे कब तक सताएगी,
और कितने सहानुभूतियो के घूट पिलाएगी ,,
श्श्य-श्यालम सी हो गई है तू ,
बता कब इसमें रंगों की बहार लाएगी,,
तू टेंशन मत करना मैं मेहनत करूंगी,
जो भी दर्द होंगे ,उसे भी हंसकर सहूंगी ,,
यह मत सोचना कि मैं सीधे-साधे रास्ते को ढूंढूगी,
उबर-खाबड़ और कठिन रास्तों पर चलूंगी,,
बस इतना बता दे तू मुझे कहां मिलेगी,
तू मुझे कहां मिलेगी?????????
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