हां इस सोने की चिड़या ने लोहा भी बनाया है,
जिसे शिवप्रताप ने समशिर का रूप दिया है.....
हा इस हिंदुस्थान ने अपने उसुलो का तख्त भी बनाया
जिस पर काफिरो का सर खाँफ से झुकता है...
हां की तो हमने भी गलतियां ,अतिति देवों भवः हैं हमारा गहना.....
हां फुल्लो की बाग़ सजाई हमने, तुम तो इसे अपना आशियाना समज बैठे....
पर इतिहास साक्षी है उस पल का की जब जब कौरवो का राज अधर्म का सरतांज बनकर बरसा है,तब तब श्रीकृष्ण बनके हमने भी कुरुक्षेत्र मे लहू की समशिर पर अर्जुन को परखा है...
-दिल की बात (लाला)
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आप सभी को,
"महाराणा प्रताप" जयंती की हार्दिक बधाई 💐💐
Maharana Pratap Jayanti.
9th May 1540.
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जो मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए हर कष्ट सहन करते हैं,
रण में जो कभी हार नहीं माने उसको महाराणा प्रताप कहते हैं,-
यह संसार केवल कर्म वीरों की ही सुनता है इसीलिए अपने कर्म पर अडिग और प्रशस्त रहें।
- महाराणा प्रताप सिंह-
जद्द तपतो खून गर्म रजपूती,
जण धरती.. ठाढ्ढी रेवती....पर ,|
जद बन्दगी आ रण-रजपूती... तलवार म्यान में ,
जण बढयो....अन्याय अनंत अपार इण धरा पर ||
जय क्षत्रिय धर्म🙏-
चढ़ चेतक करता रण
राणा वो मेवारी था ।
काट दिए मस्तक कितने
लगता स्वयं कपाली था ।
हुंकार किया हुंकार किया
रण में भिसन संहार किया ।
दशों दिशाएं गूंज उठी
महाराणा का जयकार किया ।
राणा के नेत्र खोजे मान को
प्यासे उस कुलकलांक के प्राण को ।
राणा की भुजाएं ना थकती थी
काट अरी मस्तक को हस्ती थी।
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वह शत्रुओं का काल था,अकबर का वह भय था।
वह कीका राजकुमार था,वह महाराणा प्रताप था।।
वह तूफान पर सवार था,वह चेतक भी तूफान था।
वह 80किलो का भाला था,वह महाराणा की शान था।।
वह चितोड़ की आन था,वह शत्रुओं का काल था।
माँ भारती का लाल था,वह खुद मे कमाल था।।
वह कुम्भा का होश था,वह बप्पा का जोश था।
वह सांगा सा अडिग था,वह जयवंता का लाल था।।
वह मेवाड़ की शान था,वह एक धधकती आग था।
वह प्रकाश था ताप था,वह राणा उदय का पुत्र था।।
वह छापामार युद्ध था,वह रक्तताल का संग्राम था।
वह संग्राम सा वीर था,वह स्वाभिमानी वीर था।।-
महाराणा के नाम का प्रकाश हमेशा फैलता रहेगा...
परामवीरों के रक्त में डूबा शौर्य पलता रहेगा...
आत्म स्वतंत्रता का गुण जो विरासत में मिला,
आँधियों में वो दिया जलता रहा और जलता रहेगा...
महाराणा को नमन🧡🙏🏻🧡-