में चेहरा महशहुर हूँ...
में जनता का गुरुर हूँ.. !!
में पक्ष-पात का खेल हूँ...
करेगी दुनिया मुझे याद,
में शतरंज का शेर हूँ...!!
मेरे कामो का कोई हिसाब नही,
में स्वार्थ का मेल हूँ...!!
में हूँ वहाँ जहाँ मेरी जरूरत है,
अपनी पक्षशील सेना के साथ हूँ...
खेल का प्यादा नही...
में शतरंज का शेर हूँ...!!
दे भी दु साथ लोगो का,
बड़पन का एक मुखोटा हूं...
निश्च्छल करता सेवा,कहाँ में,
न सोता ,न खाता पिता हूँ...!!
माना खेल आता नही मुझको ,
लेकिन में शतरंज का शेर हूँ...!!
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