QUOTES ON #LOVESAURYANSHI

#lovesauryanshi quotes

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9 DEC 2019 AT 15:01

चलो सुकूँ मिला होगा तुम्हें|
सुकूँ मिला होगा तुम्हें,
उसकी इज्ज़त जब, मुट्ठी में तुम्हारी आयी होगी..
उस मँज़र को देख कर उस दिन, हैवानियत भी शर्मायी होगी||

माँ नहीं थी उसकी,
वो अपने पापा की लाडली हुआ करती थी..
अपने भाइयों की बहन,
वो सबसे बड़ी हुआ करती थी||
वो अपना परिवार कुछ यूँ चलाती थी,,
कि भाइयों की पढ़ाई और पापा के इलाज़ की खातिर,
दिन-रात एक कर, पैसे कमाती थी||

"दिन भर जाने कहाँ रहती है!
जो इतनी रात को आती है..
घर में खाने को पैसे नहीं,,
और ये पैसे बाहर उड़ाती है.. "
कुछ यूँ ही उस पर उँगली उठाता था
ये समाज, किसी भी लड़के के साथ देख
उसे हमेशा बज्जलन बताता था||
पर इस बार किसी ने ना सुना होगा,
या फिर शायद सुन कर भी किया अनसुना होगा..
चाहे जितना भी उस दिन चीखी होगी,चाहे जितना वो चिल्लायी होगी||

चलो सुकूँ मिला होगा तुम्हें|
सुकूँ मिला होगा तुम्हें,
उसकी इज्ज़त जब, मुट्ठी में तुम्हारी आयी होगी..
................TO_BE_CONTINUED................
-Sirfiri

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14 DEC 2019 AT 18:36

आप हमें क्या नज़रों से उतारेंगे जनाब!!
हमारा तो खुद पेशा है,
आँखो देखी चीजों को
नज़रो से पन्नों पर उतारना||

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17 DEC 2019 AT 15:48

आज उनकी गलियों से फ़िर हमारा गुज़रना हुआ,,

नज़रे फ़िराक में थी, कि
वो फ़िर से इन्हें नज़र आयें,,
और इक बार फ़िर पहले की तरह
देख हमें खुशी से मुस्कुरायें..

इक दौर बीत चुका था मानो, उस मुस्कुराहट को देखे
जो
हमारे दीदार से उनके होंठो पर आती थी..
उस बेचैनी को सुने, जो हर सेकण्ड फोन कर
'कहाँ पहुँची?' की रट लगाती थी..
और उस नाराज़गी को महसूस किये, जो
मेरे पहुँचने के बाद काफ़ी देर तक मुझसे
गुस्से में नज़रे भी ना मिलाती थी..
मानों इक अरसा बीत चुका था आज||

फ़िर अचानक इन कदमों का
उन गलियों से गुज़रना, मानो सफल हो गया..
वो आया सामने और धड़कने थम गयीं,,
दिल किया कि दौड़ उसे गले से लगा लूँ,,
हर बार की तरह उस रूठे प्यार को
आज फ़िर से मना लूँ..
मगर इक हाथ में नन्हें हाथ थामें,
और इक तरफ़ अपने हमसफ़र के बाहों में बाहें डाले,,
वो यूँ ही सामने से गुज़र गया||
होंठ तो मुस्कुरा दिये मगर
उस इक पल में ज़िन्दगी का टूट कर बिखरना हुआ,,
आज उनकी गलियों से फ़िर हमारा गुज़रना हुआ,,
-Sirfiri

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1 NOV 2019 AT 22:31

बचपन में ज़िद करके उनसे,,
खिलौनें, कपड़े और किताब लेता था!
वो बेटा बड़ा होकर आज, माँ बाप से
एक-एक रत्ती का हिसाब लेता है||



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13 DEC 2019 AT 13:50

मुश्किल हालातों से कई बार जीत चुके थे,
वो बात कुछ और है,
कि इस बार हालात ने हमें झुका दिया|

उसे खो देना ही शायद मुकद्दर में लिखा था,,
तभी किसी और ने मेरा माँग
अपने नाम से सजा दिया|

यूँ तो वो भी अक्सर मुझे अपनी बीवी कह कर पुकारता था,,
पर माँ पापा ने मुझपे आज
पूरी ज़िन्दगी का एहसान जता दिया|

हाँ प्यार करने से पहले इतना सोचा ना था समाज का,,
उस समाज ने आज मोहब्बत को हमारी
नादानी और बचपना बता दिया|

बेवफ़ायी ना तो मैने की और ना उसने,
वो तो इन जाति,धर्म भेद-भावों ने खुद को
मोहब्बत से भी बड़ा बना दिया||
-Sirfiri

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20 NOV 2019 AT 20:04

वो अपनी महफ़िलों में व्यस्त रहता था,,
दो-तीन दिनों में एक बार फोन कर!
झूठी प्यार की बातें कहता था||

मैं फिर भी उसी की होकर रहना चाहती थी,,
मैं हमेशा फोन कर उसे,
उसकी डाँट खुशी से खाती थी||

गुस्से में मैं भी अपना आपा खो देती थी,,
उसे खोने के डर से मैं अक्सर रो देती थी||

मैं कब, कहाँ, कैसी हूँ!
उसे कोई परवाह ना था,,
अब अन्त करूँ इस रिश्ते का,
और दूजा कोई राह ना था ||

वक़्त गुज़रता गया,
सब्र ख़त्म हुआ,
दोनों हद से आगे बढ़े!
तहज़ीब दोनों का, जाने कहाँ दफ़न हुआ,,
और कुछ इसी तरह प्यार का एक और किस्सा जाने-अनजाने में खतम हुआ||
-Sirfiri

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13 OCT 2019 AT 16:23

ये नन्हीं-सी जान
तुम्हारी अपनी,
ना कोई परायी है..
लोग कहेंगे बिटिया ये,
बिलकुल पापा की परछायी है||

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9 APR 2018 AT 14:25

मेरे बिना कुछ कहे !
कैसे तुम सब कुछ समझ जाते हो।।
इतना कुछ कह के भी!
आखिर क्या है,,
जो हमसे कह नहीं पाते हो।।

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5 APR 2018 AT 17:25

रहने भी दो तुम!
बस अब हमें और न सताओ....
इत्तेफाक़ से ही सही मग़र !
ख्वाबो में नहीं..
मेरी तक़दीर में चले आओ...

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6 APR 2018 AT 20:19

ये इश्क़ जाने, कैसी ज़हमत है!
तक़लीफ़ भी उसे देती है,
जो कोई इससे सहमत है।।

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