आज उनकी गलियों से फ़िर हमारा गुज़रना हुआ,,
नज़रे फ़िराक में थी, कि
वो फ़िर से इन्हें नज़र आयें,,
और इक बार फ़िर पहले की तरह
देख हमें खुशी से मुस्कुरायें..
इक दौर बीत चुका था मानो, उस मुस्कुराहट को देखे
जो
हमारे दीदार से उनके होंठो पर आती थी..
उस बेचैनी को सुने, जो हर सेकण्ड फोन कर
'कहाँ पहुँची?' की रट लगाती थी..
और उस नाराज़गी को महसूस किये, जो
मेरे पहुँचने के बाद काफ़ी देर तक मुझसे
गुस्से में नज़रे भी ना मिलाती थी..
मानों इक अरसा बीत चुका था आज||
फ़िर अचानक इन कदमों का
उन गलियों से गुज़रना, मानो सफल हो गया..
वो आया सामने और धड़कने थम गयीं,,
दिल किया कि दौड़ उसे गले से लगा लूँ,,
हर बार की तरह उस रूठे प्यार को
आज फ़िर से मना लूँ..
मगर इक हाथ में नन्हें हाथ थामें,
और इक तरफ़ अपने हमसफ़र के बाहों में बाहें डाले,,
वो यूँ ही सामने से गुज़र गया||
होंठ तो मुस्कुरा दिये मगर
उस इक पल में ज़िन्दगी का टूट कर बिखरना हुआ,,
आज उनकी गलियों से फ़िर हमारा गुज़रना हुआ,,
-Sirfiri
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