अपनी ही खुशियों को आग लगा दी हमने ।। बस अपनें मां बाप के लिए । प्यार को छोड़कर किसी , और से शादी कर ली हमने ।। बस अपनें मां बाप के लिए। अपनीं ही खुशियों को आग लगा दी हमने ।। बस अपनें मां बाप के लिए । जिसे हम जानते तक न थे ।। उसके साथ रहने लगें । बस अपनें मां बाप के लिए । अपनीं ही खुशियों को आग लगा दी हमने ।। बस अपनें मां बाप के लिए ।
कोई महोब्बत की फ़ना में रोया था.. तो कोई अपनो की चाह में खुद अकेला महसूस किया.. न कोई अपना था,न हम किसी के दिल में जगह बना पाए.. अपनो की ही महेफिल में अनजान से थे.. खामोशी का शोर अंदर तूफान बन रहा था.. लेकिन फिर भी हम खुद से ही एक जंग लड़ रहे थे..!!
मुझे दिल से निकालने की.. तुम्हारी कमजोरी थी, तुम्हारी चाहत नही !! खयालो का क्या वोतो सुनेहरी होते है.. जब भी आखे बंद करे, तो अपनो का दीदार होता है !! दर्द का दरिया हो, या हो कोई मेरी नाकमयाबी.. इश्क से खता करना मेरी जरुरत नही, थी मेरी कुछ मजबुरी !!