तुम इस मिट्टी का ख़ाक कर्ज चुकाओगे!
जिंदा हो तो भी तुम्हारी बोझ, खुद पे उठाई है!
मरोगे तो भी, तुम्हें खुद में समेट लेगी!
यह मिट्टी अनमोल है!
जीतनो को अपनी गोद में खेलाती आ रही है!!
उनसे इतना प्यार करती है!
कि मृत्यु के बाद, अपने गर्भ में वापस समा लेती है!!
निकलते हो अपनी मां के गर्भ से!
जीवन की हर लुप्त उठाते हो, इस मां के छाती पे!
पर ये मां इतनी अनमोल है!
जीवन के बाद भी तुम्हें, खुद में संजोए रखती है!
तुम इस मिट्टी का ख़ाक कर्ज चुकाओगे!
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