आज उम्र की तरफ एक और कदम बढाया हैं तजुर्बो से नाता थोड़ा और गहरा करना है यू तो नहीं कहुंगी मुश्किलें न मिले मुझे पर मुस्कराते मुझे हमेशा रहना है लोगों का क्या है आना गिराना और चले जाना पर उठ कर जवाब तो मुझे देना है में वो लौ नहीं हूँ जो जल के बुझ जाऊँ में नदी की वो धारा हूँ जो कभी थम नहीं सकती दुआ है उस खुदा से ये हाथ देना जाने लेने का तो अर्थ भी ना जाने किस्मत वाली हूँ ये तो नहीं पता पर खिदमत में रहूँ सबकी ये ख्वाहिश है। मेरे आशियाने में तो बारक्त बहुत है बस इसे खुशियों में बांट सकूँ ये उम्मीद हैं।