तेरी काया देख आग को भी जलन हो जाये देख तेरी सादगी बर्फ़ को भी सीलन हो जाये कालिदास की शकुंतला सी मनभावन है तू बैरागी भी तुझे देख ले तो तुझ में मगन हो जाये...!!
तेरे चले जाने पर सवाल भी कर देता कहीं और ठहर जाने पर बवाल भी कर देता नाक़ाम होना पड़ा क्योंकि मेरी काबिलियत पर शक़ था तुझे ही तुझे अग़र ऐतबार होता तो मैं कमाल भी कर देता...