इन बंदिशों की जोड़ में यूँ बंध गई उलझे डोर में जहाँ मंज़िल न किसी मोड़ में गुम गई मैं शबे घनघोर में... तंज तन्हाइयों की होड़ में ज़िंदगी की मुरझाई भोर में अब सन्नाटों में शोर में कहाँ ढूँढू खुद को किस ओर मैं......
Today, I took the long route to come back, As home doesn't feel like me anymore.. I felt lost while walking, To find a home that belong to me... Either to get lost in it, Or to find home in it...
अब तेरा प्यार कुछ ज्यादा बढ़ रहा है लगता है तुझे छोड़ना पड़ेगा, मै वो टूटता तारा सजना मुझपे यकीन ना करना। अब मज़ा आने लगा है बेवफाई करके सुकून सा मिल जाता है, किसी को छोड़ के और इतना बदल के।