हम देखेंगे...
जब बसंत आयेगा सीरिया में,
वहाँ के पेड़ों पर भी खिलेंगे
पीले फूल पलाश के,
कोयल भी वहाँ सुनाएंगी
प्यार, अमन के गीत,
हम देखेंगे...
जब वहाँ बहेगा नदियों में
साफ़ स्वच्छ कल-कल करता पानी,
अँधेरे में जब दिखेंगे
अनगिनत तारे आसमाँ में,
पूर्णिमा का गोल चांद,
छत पर बैठे बच्चे,
निहारेंगे उसे जब भर-भर आँखें
हम देखेंगे...
जब रात वे बच्चे
भर पेट खाना खाकर
लोरी सुनके सोयेंगे
हम देखेंगे...
सीरियायी बच्चे वो दिन
कब देखेंगे,
हम देखेंगे...
~ रोहन श्रीवास्तव
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