इंतजार है उस घड़ी का,
जब फिर इंक़लाब आएगा
देश में उड़ती अधर्म की इस आंधी को,
भगतसिंह सा तूफ़ान दूर कहीं भगाएगा
नेताओं की राजनीति से,
ये देश जो रो रहा है
भागा वाले जैसा इतिहास
वापिस दोहराने को तरस रहा है
क्रांति की मशाल जला कर,
आओ वापिस उन्हे याद करे
इस वतन को मजबूत बनाने की,
अपने दिल से फरियाद करे
23 मार्च वर्ष की शाम
उन आँखों में जो बंद हुए,
उन सपनों को पूरा करने का संकल्प है मेरा ।
इस जिद पर अड़ा हुँ मैं
कि अपने वतन में लाऊंगा सुख और एकता का ऐसा घेरा
जिसे देख सब गर्व से कहेंगे
ये प्यार भारत देश है मेरा।
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