QUOTES ON #LIFEPOETRY

#lifepoetry quotes

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19 JUN 2021 AT 14:48

You threw me
I removed you
(Part 1)

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29 NOV 2020 AT 14:55

सुनो मोहतरमा,
मैं तुम्हें पसंद करता हूँ,
तुम मेरे ज़िंदगी के सफ़र में हमसफ़र बन पाओगी क्या..

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26 JUN 2020 AT 20:53

तुमने मेरे बग़ैर अपना जन्मदिन मनाया है,
मैंने तेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया है..

तुम्हारे बिन मैंने अपना जन्मदिन कब मनाया है,
देखो मेरे दोस्तों ने मेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया है..

मेरे दोस्तों ने मेरा ग़म भुलाया है,
मेरे बर्थडे पर मेरे दोस्तों ने मुझे ख़ूब नचाया है..

मेरे दोस्तों ने रात को सुबह को जगाया है,
कमीनों ने मुझे पलकों पे बैठाया है..

मेरे दोस्तों ने प्यार का मतलब समझाया है,
मेरी गलतियों को भुला सीने से लगाया है..!

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9 AUG 2020 AT 11:49

**थोड़ा हैरान थोड़ा परेशान हूँ मैं**

थोड़ा हैरान थोड़ा परेशान हूँ मैं,
हज़ारो ज़िम्मेदारियों के तले दबा एक छोटी सी जान हूँ मैं।
कहने के लिए तोह पापा की शान हूँ मैं,
अपनी माँ के लिए उनका अभिमान हूँ मैं।
लेकिन थोड़ा हैरान थोड़ा परेशान हूँ मै,
हज़ारो ज़िम्मेदारियों के तले दबा एक छोटी सी जान हूँ मैं।
वैसे तोह कुछ दोस्तों की जान हूँ मैं
अपने छोटे से परिवार की पहचान हूँ मैं,
एक पोते के रूप में दादा दादी का अरमान तोह भाई बहन के लिए उनका मान हूँ मैं।
ना जाने क्यों फिर भी थोड़ा तोह हैरान थोडा तोह परेशान हूँ मैं,
हज़ारो ज़िम्मेदारियों के तले दबा एक छोटी सी जान हूँ मैं।
अपनी ही कुछ छोटी छोटी ख्वाईशो से भरा वह खुला आसमान हूँ मैं,
जो दूसरों के सपने पूरे करते करते खुद की ख्वाईशो को भूल जाए एक ऐसा बलिदान हूँ मैं।
एक छोटे से परिवार के छोटे मोटे सपनो की एक छोटी सी दस्तान हूँ मैं,
थोड़ा हैरान थोड़ा परेशान हूँ मैं आखिर
हज़ारो ज़िम्मेदारियों के तले दबा एक छोटी सी जान हूँ मैं।

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22 JAN 2021 AT 13:55

बेवजह यूँ ही किसी के घर में झाँका नहीं करते
अपने नज़रिए से औकात किसी की नापा नहीं करते

पतझड़ में बयाबाँ होकर रहना पड़ता है गुल को भी
खिज़ा से किसी कली की खूबसूरती आँका नहीं करते

अपनी काबिलियत की बदौलत बनाना होता है मुकाम
किसी से इज्जत खैरात में अपने लिए माँगा नहीं करते

और ये जो जलन के मारे मरे जाते हैं कुछ लोग यूँ ही
सुनो जी,आप जैसे लोगों का मुँह हम ताँका नहीं करते

सुना होगा समंदर में ही आते हैं उतार चढ़ाव अक्सर
दूर कहीं घर बैठकर बड़े तूफानो को मापा नहीं करते

किस दिल का क्या हाल ये तो बस वही जाने "रूचि"
किसी घर लगी आग पर हाथ अपने तापा नहीं करते

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13 FEB 2020 AT 16:32

मैं लिखू तो क्या लिखूं, हर रिश्ते ने मुझे सताया है,
हर कसम हर वादा झूठा है, यहां तक कि हर अपना भी पराया है,

मैं लिखू तो क्या लिखूं, हर रिश्ते ने मुझे सताया है,
अक्सर कहते थे जो लोग कि तु बोल तो सही हम कर देंगे,
उन्हीं लोगों ने मुझे बहुत रूलाया है,
जिन्दा हूं तो सिर्फ मर जाने के लिए,
भरोसा तो मुझे अपनी रूह पर भी नहीं अब,
न जाने किस पल मुझे इसने भी कर देना खुद से पराया है

मैं लिखू तो क्या लिखूं ,हर रिश्ते ने मुझे सताया है

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30 JAN 2021 AT 21:54

रातों की काली चादर पर
टूटा है ख़्वाब मेरा इस कदर,
जैसे बिखर गए हों मोती
दहलीज़ के हर एक दर पर !


अब जो बिछड़े चुके, उनसे
बिछड़ने की शिकायत कैसी,
बिछाए हैं काटें अपनो ने ही
उनसे बचने की रियात कैसी !


साथ अपने कुछ तो था जो
आता था ख्वाबों की तरह,
कल के बिछड़े फिर मिले नहीं
वक़्त बुलाता है गवाहों की तरह !


रोज आता है यादों का परिंदा
जैसे अपने होने की गवाही देता है
कभी मेरे ज़हन से छुटा नहीं
फिर न जाने कौन उसे रिहाई देता है !

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6 MAY 2020 AT 14:59

ऐ जिन्दगी अग़र छोड़ दूँ एक दिन
साथ तेरा मुझे तू बेवफा न कहना

जब मैं हार जाऊँ खुद से
ऐ जिन्दगी मुझे तू कायर न कहना

मौन हो जाये जब ये साँसे मेरी
ऐ जिन्दगी मुझे तू खामोश न कहना

थक कर सो जाऊ जब हमेशा के लिये
एे जिन्दगी मुझे तू मौन न कहना

सबको समझा है यँहा 'रूचि' ने
एे जिन्दगी मुझे तू बेज़ार न कहना

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10 MAR 2020 AT 19:52

नींदें कहीं उसकी खफ़ा हो बैठी है
ख्वाहिशें अब पंख फैलाये बैठी है

हैं मसरूफ वो अपनी दुनिया में
गम़ अपने सारे छुपाये बैठी है

बैचेनी सी दिल में अजीब है,, फिर भी
चेहरे पर मंद मंद मुस्कान लिये बैठी है

थोड़ी सी उलझी, थोड़ी सी अल्हड़ है
शिकायतों पर अपने मरहम लगाये बैठी है।।

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6 MAY 2020 AT 10:17

बड़ी अजब है तेरे शहर की तंग गलियां
कौन मुसाफिर यँहा भटका निशान का क्या पता

साँसे फूल गयी ये सफ़र करते करते
कब मिलेगी साहिल-ए-मंजिल क्या पता

सुलग-सुलग कर राख कर दिया खुद को
उन्हे खबर भी है इस उल्फ़त की क्या पता

दिल के दरीचे में बेतहाशा खामोशी पँहुची है
चिखते अहसासों की होती है आवाज क्या पता

जरा सोचो कितनी घुटन दफ़न की है सीने में
कौन लिये फिरता यँहा सीने में तूफ़ान क्या पता

यकीन करना मुश्किल है 'रूचि' आज की दुनिया पर
कब कौन यँहा पीठ पर खंजर घोप दे क्या पता

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