मेंरी बातों को थोड़ा सा तुम भाव दे देंना चली आंऊगी तुम्हारे पास तुम आव़ाज दे देंना तुम्हारे ही लिए तो रोज़ मैं सजती सँवरती हूँ बुलाती हूँ तुम्हें थोड़ा सा मेरा साथ दे देंना!
तेरे बिना मेरा हर दिन सूना तेरे बिना मेरी हर शाम अधूरी कि तेरे बिना मेरा हर दिन सूना तेरे बिना मेरी हर शाम अधूरी गर तेरे चेहरे पर ही है मुस्कुराहट अधूरी तो फिर वो कैसे हो जाए मेरे चेहरे पर पूरी
लोग सूरत पर मरते हैं जनाब, हमें तो उसकी आवाज़ से इश्क़ है... एक उसे छोड़ कर सब कुछ तो बदल जाता है हमेशा मुझे उसके कभी ना बदलने वाले अंदाज से इश्क़ है ..
ज़रा सी बात ना होने पर उसका एकदम बच्चों सा परेशान हो जाना... अब क्या बताएं हमें तो उसकी हर बात से इश्क़ है...
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