कुछ इस तरह मै अपने सोच को बड़ा कर दी,
जो साथ देते गए उन्हे कभी टोकी नही,
जो जब मन किया चले गए , उन्हे रोकी नही!
कभी स्वागत की गम की, कभी हुई कुछ नम सी
ना कभी किसी से नाराज़ हुई, नाही हुई कुछ उदास सी,
बस जब मन किया तब हो गयी कुछ शांत सी,
शिकायत जो भी हो पर कभी की ना किसी से,,
जो भी मिले सबसे मिली बस, खुशी से!!
बस उम्मीदों को रखना कर दी कम सभी से!
ना पूछी कभी किसी से बजह मुझसे मिलने की,
ना ही पूछी कभी वजह साथ छोड़ जाने की!
बस डाल ली आदत खुद से मिलने की!
सबसे ज्यादा मिलना जुलना ,बाते करना कम कर दी ,
कुछ से माफी मांग ली, तो कुछ को माफ कर दी.
कुछ इसी तरह से अपनी जिंदगी को आसान कर दी!
🥰🥰❤❤ 🥰🥰
_𝙎𝙝𝙖𝙣𝙫𝙞 𝘽𝙝𝙖𝙧𝙩𝙞
-