बेशक हर किसी को जानवरों से लगाव होता है. और कुत्तों से प्यार _ये तो लाजिमी है. मुझे भी बड़े शेर जैसे कुत्ते पालने का शौक था. सोचती थी पैसे कमा कर, अच्छे ब्रिड का खरीदूंगी. बहरहाल इस बेरोजगारी मे लक्ष्मी पास कहाँ. पास के,पूआल मे, चार बच्चे नवजात, का जन्म हुआ, जिसकी माँ की मौत हो चुकी थी. अगल बगल के लोग बोले जा रहे थे _अब इसका क्या होगा, इतनी ठंड और दूध, कौन दे पाएगा. बेचारा बचना मुस्किल है. ये सुन कर पहली बार ममता का हार्मोन, परिकाष्ठा श्रेणी मे था...उसमे से एक को ले आए घर, चारो का लाना बेहद मुस्किल था, क्युकि कुछ दिन पहले दो बिल्ली की माँ भी गुजर चुकी थी, उसका भी भरण पोषण था. आप हतप्रभ हो जाएंगे, ये जानकर ,उस बिल्ली का दोषी, और कोई नहीं बल्कि कुत्ते ही थे. मन किया, अब कुत्तों से नफरत कर लू. पर हम भी तो माँसभक्षी ठहरे. और नफरत करना, जायज तो हरगिज ना था. बस वो लाया कुत्ता_ बेचारा_अकेला रहता _ रोता.. दूध और पोष्टिक खाना या इंसानी प्यार _उसे रास नहीं आ रहा. कई दफा हम सोचते है, ख्वाबबिदा सपने, हमे सुख देंगे, पर ये मृगतृष्णा है. सुख शांति उस कुत्ते का अपनों के बीच था _धूल मे लड़ना झगड़ाना, अपनों के साथ रहना और सबसे महत्वपूर्ण आजाद. कमाल है _मैं तो ममता के जाल मे, उसे बंदिश के पट्टे से बांधे जा रही थी. ये अनुभव बताना, उतना ही सुखद है, जितना उस कुत्ते को आजाद करना.
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