मेरे मरने के बाद
बाद मेरे मरने के तुम वफ़ा का हक़ उतार देना।
बड़े तहम्मुल से अपनी जीस्त-ए-जहाँ निखार देना।।
हो सके तो कोरे पन्नों पर लिखकर कुछ याद को,
फिर दो बूंद बहा कर मेरी मौत का इस्तेहार देना।
मरने की हालत में नहीं मैं पर ज़िन्दगी मौत दे रही है,
मेरे मुरझाए गुलिस्तां को देख तुम रिमझिम फुहार देना
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हाँ तुमसे मोहब्ब्त बेसुमार इस हद तलक है हमें,
के मेरी वफ़ा का सिला उल्फ़त से उतार देना।
मेरे हर एक लम्हात से तुम वाकिफ़ हो इस कदर ,
सुनो,मेरे तस्दीक से पहले मेरा किस्सा सँवार देना।
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