निकल चुका हूँ घर से, अब वो शाम नही हैं,, बहुत लिया सहारा , अब बैसाखियों का काम नही हैं,, कुछ सपने लेकर निकला था घर से,, जब तक पा न लू ,मुझे विराम नही हैं
पाने की आस में जिंदेगी जीना भूलगई सफर की इश घडि में गुम सी होगई ग़म की आश में खुशियां भूलगयी हारने की डर से में जितना भूलगयी दिल टूटने की आश में दिल लगाना भूूलगयी दुनियादारी की आश में सबकुछ भूलगयी
अगर हमारे गलती से आप को इतना फर्क पड़ता है..…तो जनाब हम इनसान है हमे भी आपकी गलती से फर्क पड़ता है..… #zamana ही ऐसा है... #भलाई का जमाना ही नहीं वल्कि नासमझी की है
TRUE FACT OF LIFE.... आप अच्छे है या बुरे .......ये बात बुरे लोगों को समझ में नहीं आयेगा .... क्योंकि वो खुद बुरे हैं और उनकी नजरों मैं आप भी बुरे हैं....। आप चाहें कितने अच्छे काम किए होंगे उनके लिए .....फिर भी आप की एक गलती में भी आपकी खामियां निकाल देते हैं...।