ये हवाएं,सर्द रात और गहरी होती जा रही है
कायनात की खूबसूरती भी गहराती जा रही है,
लिखने बैठे थे बीते गुजरे दिन का हाल
पर यूं साथ हुई ये कलम कि,
बयां कर बैठे ये रात और अपने ख़्याल
चाँद साक्षी रहा अक्सर मेरे दर्द का,
तारें सारे मेरे सपनों को रोशनी से भर रहे
स्याह सी रात ढूंढ रही मौजूदगी किसी का
और हम बेबस, बेचैन अस्तित्व की तलाश पर अटके |
K-writes ✒
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