फ़िराक़ मत करना अब ए हमसफ़र......... मैं जीते जी मर जाया करता हूँ..........., फिर जब कुर्बतें होती हैं ना रिश्ते में हमारे..., मैं गुलज़ार हो जाया करता हूँ...... ।।
Teri tishnà ki talab bekhudi si hai, Tere ashiq se meri kuch ranjish si hai, Teri qurbat ki kashish mohbbat hi hai, Teri mohbbat ki aamaada aqeeda si hai...❣️
नया वक़्त नहीं, नया ज़माना साथ लायी हुँ छोड़ दे ये आंसुओ का सफर, खुशियों का किनारा साथ लायी हुँ ऐसा भी क्या गम इस ज़माने में तेरे गमों को जो, तब्दील कर दे मुस्कान में, ऐसी मैं कुर्बत साथ लायी हुँ
यह औरत बड़ी प्यारी चीज़ है। कभी रोटी बनाती अपनी माँ को देखना। झुर्रियों मीचि आँखे किस्से कहानी वाली दादी माँ को देखना दो चोटी में तुमसे झगड़ती अपनी बहन को देखना। जिससे हर किस्से साजा किए उस सहेली को देखना कही रास्ते मे गुम हो गई प्रेमिका को देखना तुम्हारे लिए बाट जोती पत्नी को देखना। तुम्हारा अंश तुमसे उत्पन्न राज दुलारी बेटी को देखना। मंदिर की घंटी मज़्ज़िद की अजान तो कभी शमशान सुनसान देखना। क्या बला की तखलीकी है ख़ुदा की।।
इश्क़ मेरा बिखरा पड़ा होगा कहीं आख़िरी इल्तज़ा की तरह जिस साम में मेरी आख़िरी सांस होगी, मै भूल जाऊँगी अपनी रुह को भी जिस पल इस वतन को मेरी जरूरत होगी।।
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