QUOTES ON #KUMAARPOEM

#kumaarpoem quotes

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21 MAR 2018 AT 23:30

अनकहे शब्द
चुप बैठी खामोशी

दोनों से इश्क़
मुझे बेइंतहा है...!!

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21 JAN 2018 AT 13:24

"एक ख़याल"

मैं जिसे गुनगुना नहीं सकता,
वो गीत होगा या कल्पना मेरी?

मैं जिसे लफ़्ज़ों में उकेर नहीं सकता,
वो तस्वीर होगी या ग़ज़ल मेरी?

मैं जिससे नज़रें मिला नहीं सकता,
वो चाँदनी होगी या अमावस्या की रात मेरी?

मैं जिसकी जुल्फों से खेल नहीं सकता,
वो आशिक़ी होगी या बस शायरी मेरी?

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7 AUG 2017 AT 9:04

अपनी खुशियों को भाईयों पर वार देती है,
बहने तो ताउम्र बस स्नेह और प्यार देती हैं!
सपनों को अपने देखती हैं भाई की आँखो से,
ख़ुद डांट खा के भी, भाई को दुलार देती है!
लड़ता है भाई बेशक़ वजह बेवजह बहन से,
पर बहन से नोक-झोंक ही उसे करार देती है!


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31 AUG 2018 AT 21:10

शब्दों रूपी एहसासों की तस्वीर को,
वास्तविकता में उम्र भर रंग ना पाए,
कहने को तो था लिखा एक उपन्यास,
पर एक भी आखर उनसे कह ना पाए!

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14 DEC 2017 AT 21:17

At the end of the Road

सड़क के उस पार
मंज़िल एक और बाधाएं हजार,
रुको तो मिलती बदनामी
चलते रहने से ज़िंदगी होती गुलज़ार..!!

रास्ता कभी समतल
कभी मिलेगा पथरीला,
थके तो होगी खुद से ग्लानि
जो पा लिया मुकाम तो आएगा करार..!!

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25 SEP 2017 AT 13:32

बोलती तस्वीरे-क्यों तेरा अन्याय है

कैसी ये कुदरत है तेरी
कैसा ये तेरा न्याय है,
क्या मजदूरी ही बस
गरीबी का पयार्य है||

तू देता रहता है,
ऐ रब सबको कुछ ना कुछ,
फ़िर इन बच्चों के साथ
क्यों तेरा अन्याय है||

सर्वाधिकार सुरक्षित ©

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8 JUN 2021 AT 17:31

देखूँ जब जब तेरी आँखों में, ख़ुद को गिरफ्तार देखता हूँ
कभी हुस्न, कभी शोखी जाने कितने किरदार देखता हूँ!

इक तेरे बाद सारे शौक मुझे, बे-ग़ैरत, बे-जरूरत लगते,
इक तुझे देखा जब से, तब से रोज मैं लगातार देखता हूँ!

आईना जब जब देखा अपनी उम्र देखी मैंने बढ़ते हुए,
तुम दिखी वैसी ही, बंद आँखों से भी रूख़सार देखता हूँ!

आशिक हूँ तेरी रूह का, तेरे हुस्न का मैं इकलौता हकदार,
मय की तिश्नगी नहीं, ख़ुद को तेरा तलबगार देखता हूँ!

तेरी दीद से हैं सारे ख़्वाब, तुझसे बेशकीमती नज़ारा है,
ग़म की जब जब दिखे परछाई, ख़ुद को खरीददार देखता हूँ!

तोहमत लगाते है कितने, कितने झूठ बोल जाते हैं 'कुमार'
चले जब जब मोहब्बत की बात, तुझ सा ना वफ़ादार देखता हूँ!

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31 MAR 2021 AT 14:19

कुछ 'कविताओं' को
लिखने में पन्ने कम
पड़ जाते हैं
और
कुछ 'कविताएं'
चंद शब्दों में
समाप्त हो जाती हैं,
और
असर गहरा
छोड़ जाती हैं
ऐसी 'कविताएं'
युगों तक पढ़ी जाती हैं!

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2 AUG 2018 AT 21:21

दर्द की
शिकायत की
तकलीफों ने
ग़म से,
ग़म ने
दुख को
दूर करने का
दिलासा देकर
मामला
दबा दिया..


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9 JUL 2017 AT 12:34

वो मुझे चाहता है बेइंतहा
यक़ीन है मुझे इसपर,
फ़िर क्यों है?
तन्हाई पसंद..!!

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