न जाने क्यों लोग ऐसा कदम उठा लेते हैं...... कोई बोसीदा सा सपना लेकर, अपना लेते हैं...... मालूम है उन्हें की ये क्षितिज है, मिलाप नहीं है, फिर भी उसे सब कुछ बना लेते हैं
निशा की कोर से लेकर सुनहरी भोर तक चलोगे. कभी ना खत्म होने वाले उस क्षितिज तक चलोगे.. जीवन के सफर की हर पगडंडियों पर साथ चलोगे.. हमारे साथ तुम इस मोड़ से उस मोड़ तक चलोगे... सरकार..