रोक लगाना जरूरी भी है
मगर वो रोक गलत पर लगनी चाहिए
बधंन सिर्फ लड़कियों पर क्यों
थोड़ी तो लड़को पर भी होने चाहिए
जिसने जाना ही नहीं स्त्री का स्वरूप क्या है
वह उसका सम्मान क्या कर पाएगा
बाहर जो तुने चीर हरा है किसी का
घऱ जाकर माँ से क्या नजर मिलाएगा
थोड़ा तो कर शर्म थोड़े तो रोक कदम
तनिक बैठ ज़रा और सोच ज़रा
कि तेरा ये कर्म तुझे कहाँ लेकर जाएगा
मत रख वहम किसी तरह का क्योंकि
समय से बलवान नहीं है तेरा ये चांड़ाल स्वरूप
महागर्त के महाविनाश से तू भी बचकर नहीं जा पाएगा
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