तेरी बातों में ही उलझी रहती हूँ,तुम तक कैसे पहुंचूं मैं
तुम करते हो बहुत सी बातें, अब उनको कैसे समझू मैं.
जोड़ा लिया है तुम्ही से हमने,दिल से दिल के रिश्ते को
आँखों में बसेहो तुम,बस तुमको ही मन से अब चाहूँ मैं
खामोशियों से लिपटे हुए है, मेरे हर एक अल्फ़ाज़ जो
उसको बोलकर जुबा से,सबकुछ कैसे तुझे बतलाऊँ मैं
बातें करती हूँ मैं तुझसे, बस अहसास लिख- लिख कर
तुम्हारी आदतों पर लिखना ही, अब कैसे भूल जाऊं मैं
महज तुझको ही निहारते - निहारते ढलता है दिन मेरा
अब इसको पन्नों में लिखा कर, तुमको कैसे दिखाऊं मैं
ख्यालों में तेरे ही मैं, डूबी- डूबी सी रहती हूँ आज कल
इतना बता दे तू, तेरे दिल से दिल को, कैसे मिलाऊँ मैं
Ayushi Shukla 🥀
-