समय पर जो उपलब्ध नहीं
मानव को उस चीज कि कीमत
फिर उपलब्धता का खेल अनोखा
अब हुई खत्म उस चीज कि कीमत
खैर क्या ही मोल करें चीज़ों का
ना दुनिया को अनमोल कि कीमत
है पता जहॉं को ये परे सोच से
पर नहीं समय अनमोल कि कीमत
जिन्हें नहीं फिक्र अनमोल , मोल कि
क्या करें ख़ाक अन्दाज़ कि कीमत
कोई समझा दो उस आवारा को
है मुश्किल उसके अल्फाज़ कि कीमत
__Hitesh Awara .
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