पूछा जो मैने एक दिन खुदा से,
अंदर मेरे ये कैसा शोर है,
हंसा मुझ पर फिर बोला,
चाहतें तेरी कुछ और थी,
पर रास्ता तेरा कुछ और है,
रूह को संभालना था तुझे,
पर सूरत संवारने पर तेरा ज़ोर था,
खुला आसमान, चांद, तारे चाहत है तेरी,
पर बंद दीवारों को सजाने पर तेरा जोर है...
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