कौन संभलना चाहता है गिरने के बाद,
फिर डूबना चाहता हूं मैं उभरने के बाद।
आसमानो पर तो बस ख़्वाबो के मंजर थे,
हक़ीक़त नज़र आई ज़मी पर उतरने के बाद।
ये सिलसिला ताउम्र युही चलता रहा,
दर्द बेइंतेहा हुआ हर ज़ख्म भरने के बाद।
अंधेरो से कह दो की चिरागों से न उलझे,
डराना सींख लिया हमने बहुत डरने के बाद।
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