.माँ.
तू भोर की किरण, तू शाम की छटा है
तू जाडे धूप ,तू बारिस की घटा है मॉ
तू मेरी शर्दी की मध्दम् धूप, तो गर्मी की शीतल छॉव है
स्वर्ग गर जन्नत है तो जन्नत तेरे पॉव है मॉ,
तू मेरे शब्द, तू मेरे वचन है मॉ
अल्फाज मेरे कलम है तो तू मेरे स्याही है ,
तू मेरी अंतरआत्मा , तू अंतरयामी है मॉ
तू मेरे राज औ मेरे पहचान है मॉ
तू मेरे ख्वाब ,औ मेरे अवाम है मॉ
तू मेरे #सिद्धान्त ,तु मेरे पूरा संविधान है मॉ
तू मेरे #कलम ,तू मेरे अवाज ,तू मेरे राग ,तू मेरे अनुराग है
तू धरती ,तू मेरी रूह ,तू तन काया ,तू पूरा असमान है मॉ..
तू मेरे अर्थ ,तू मेरे धरा ,तु मेरे धर्म है माँ
तू मेरी वेद, गीता,पुराण है माँ,
तू मेरी हदीस,कुरान है माँ,
तू मंत्र,तू पूजा,तू योग,तू ध्यान है माँ,
तू ही नमाज़,तू ही रोज़ा,तू ही अज़ान है माँ,
तू मेरा हौसला,तू मेरी उड़ान है माँ,
मंदिर के पवित्र दीपक सी तू,
मस्जिद के गुम्बद सी तू शान है माँ,
कहीं दोहा,कही , कहीं चौपाई सी बात है माँ
तो पाक मुक़द्दस(पवित्र) सी अायत है माँ
खैच ली दरारे ,कयी जात ,कयी धर्म ,कयी सीमाओ मे हमने ,
पर माँ थी,माँ है माँ की एक ही जात है माँ,
कभी राम को राम, कभी क्रिष्ण को क्रिष्ण बनाया
तो कभी खुद ही मोहम्मद का ईमान बनी है माँ
तू मेरे धरती ,तू मेरे धरा,तू मेरे धर्म है माँ
तू मेरे नियम,तू मेरे कानून, तू मेरे सिद्धान्त ,तू मेरे पूरा संविधान है माँ.!!!
-