था मैं भी मजबूत अपने इरादों में इश्क़ की ऐसी हवा चली अब लगता है कायर हो गया... क्या करने निकला था क्या कर रहा हूँ लोग कह रहे हैं कपिल तो शायर हो गया ....
Hum apne "Mohabbat" ko alfaazon me darshate the aur wo apne "Nafrat" ko humse dar kar chupate the.. Bas fark itna tha unn me aur hum me..., Hum "Shayar" the aur wo "Kayar" the...
अपने ही अंदर दफन जख्मों को पिघला अल्फ़ाज़ बना डाला स्याही ,पन्नों के सहारे सारे जज़्बात लिख डाला जब उसने मुझसे कहा तुम मेरे लायक नही में जी सकती हूं तुम्हारे बिना तब में अपने ही दिल मे स्याहि रूपी ख़ंजर चुभो कविता लिख डाला ।