हाँ,,, हूँ बेकरार मैं अपने लफ्ज़ो को बेकरार नहीं करती । तू खो न सका मेरी दुनिया में तू खो न सका मेरी दुनिया में इसलिए अपने प्यार का इजहार नहीं करती ।।।
तुझसे बात नहीं होती , लेकिन मेरी हर बात में तु ही होता है तुझे मै याद नहीं आती , लेकिन मेरे ख्यालों में तु ही होता है मेरी भी मंजिल अब तु नहीं रहा , लेकिन हर राह तुझी पर खत्म होता है ।।
दुआओं में भी माँगती मेरी सलामती , एक रोटी माँगू तो रोटी मोटी बनाती , अपना ख्याल न रख मेरी ज़िंदगी संवारती , काश, मंदिर की माँ की तरह उनकी भी होती आरती ।