ये ज़िल्लत खत्म करने का सलीका बता दे,
ए खुदा,
मुझे एक बार पंख फैलाने का मौका दोबारा दे,
तुझसे इल्तिज़ा है मेरी,
मेरी इस ख्वाहिश को एक उड़ान दे,
सज़ा उन गुनहगारों को दिलाऊंगी,
हां, उनके रूबरू होने का तू मुझे मौका दे,
मां-बाप के आंसू पोंछकर, उन्हें उनकी बेटी की मौत का इंसाफ दिलाऊंगी,
हां,तू इस बात का उन्हें दिलासा दे,
ए खुदा,
मुझे मौके की तलाश है,हां मुझे एक मौका दे।।।
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