में चाहता हूं…
हर उस परिंदे को आसमान मिले,
जिसके पंख है यहां.
कैद के लिए इस जमीं पर,
इंसान कम है क्या ?
ऐ इंसान अपने शौक के लिए,
क्यों पिंजरे में परिंदो को कैद करे.
मुकद्दर को उसके तू क्यू खुद लिखे,
उसका घर... ये पूरा जहां है.
ये ज़मीं भी उन्हीं की है,
ये उन्हीं का आसमां है.
तूने जंगलों को क्या से क्या कर दिया,
परिंदो के घरों को क्यों उजाड़ दिया.
अब भी माफी मांग रब से और इन्हे जाने दे,
ए इंसान तू क्यों परिंदो को कैद करे.
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