खुली किताब सी मैं.. पढ़ने दिया था तुमको.. जाने क्या सोच कर.. लिखना शुरु कर दिए. खुली किताब सी मैं.. जज़्बात मेरे अपने.. जाने क्या सोच कर.. अपने अल्फ़ाज़ पिरोने लगे.. खुली किताब सी मैं.. अपने रंग के कवर में लिपटी.. जाने क्या सोच कर.. कवर बदलने शुरू कर दिए.. खुली किताब सी मैं.. आज़ादी में डोलने वाली.. जाने क्या सोच कर.. आलमारी में सज़ा दिए.. हाँ थी अधूरी किताब.. नहीं करनी है ऐसे पूरी.. जैसी हूँ वैसी पढ़ो सरकार..
सुन...अब कभी लौटना मत तू कहानी से अपनी लफ़्ज़-ए-मुहब्बत मिटा दिया है मैंने... महज इक जिस्म बाकी रह गया है मेरे पास मेरा रूह को तो अपनी कबका वफा की कब्र में लिटा दिया है मैंने... इतना गुरूर मत कर अपनी जीत पर 'शिद्दत' खुद को हराने की ज़िद में तुझको जिता दिया है मैंने... ज़माना याद रखेगा मुद्दतों तलक तुझे तेरा नाम भी हीर और मुमताज़ वाली लिस्ट में लिखा दिया है मैंने... और यकीन मान, बिता दूंगा मैं उम्र सारी तेरे बगैर वैसे ही जैसे पिछला एक साल बिता दिया है मैंने सुन...अब कभी लौटना मत तू कहानी से अपनी लफ़्ज़-ए-मुहब्बत मिटा दिया है मैंने...
हर महीने की है ये कहानी, हर लड़की की ये कहानी एक लड़की कि जुबानी, ऐसा दर्द जो सहना है, बदले में चुप रहना है, जो दर्द वो सहती हैं, फिर भी किसी से ना कहती हैं....
Muh se nikali baatein aksar 🙊Sach nahi hoti Ke Muh se nikali baatein 🙅aksar Sach nahi hoti Aap 😇humare ho jao💁 Aur hum💖 aapke Itni aasan ❌ kahaniya bhi nahi hoti
न कसूर तेरा था, न गलती मेरी थी शायद रब ने लिखी यह कहानी अधूरी थी। पर चाहते और इंतज़ार की शिद्दत तो कहती हैं कहानी अधूरी नहीं थी शायद वो मोड़ कहीं खो गया जहां हमें मिलना था