पढ़लिया अखबार? सुन ली खबरें?
बना ली बातें? चलो ठीक हैं ।
अब तक तो गालियां भी आ गई होंगी दो चार ।
वो भी किसी मां के लिए ही।
जाने दो छोड़ो, हमें क्या करना हैं,
चलो अपने अपने काम के लिए निकल पड़ते हैं।
वैसे भी हम कर ही क्या सकते हैं?
सब कुछ तो सरकार को ही करना है।
हां और सुनो, बस अपनी "आरज़ू" को "असिफा" बनने
से रोक सको तो रोक लों।
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