जिंदगी मिली हैं तो हँसकर जियो यूँ हर बात पर रोना कहाँ तक ठीक हैं तकलीफ़ तो उन्हें भी हुई हैं जो आज सफ़लता के शिखर पर बैठे हैं पर उन्होंने सिर्फ़ मंजिल को देखा था रास्तों की परवाह की होती तो वो भी आज रास्तों पर ही होते...
हम लिखतें रहेंगे सब पढ़कर वाह वाह करतें रहेंगे लिखा हुवा ऐसे ही लिखा रहे जाएगा और पढ़ने वाले के बस दिमाग़ में रहे जाएगा तो फ़िर मतलब क्या आवो सब मिलके एक आवाज़ बने हा मुझे लगता हैं हमारी आवाज़ से फ़र्क पड़ेगा मंजिल की परवाह नहीं मुझे बस आप सभी का साथ चाहिए हर एक बलात्कारी को फाँसी की सज़ा हो हर एक से मुझे वो आस चाहिए
न अता हैं न पता हैं कौनसी मेरी खाता है जो तू मुझसे इतनी ख़फ़ा है कौन से मोड़ पे ले जाना चाहती हैं जिंदगी क्या ये तुझे पता हैं बिना कोई डर के जिए जा रहे है क्या ये उसकी सज़ा हैं हैं यदि ये सज़ा तो मुझे तो मज़ा है न तुझसे कोई शिकवा हैं न क़भी तुझसे शिकायत होंगी फ़िर क्यूँ मुझसे यूँ तू रफा-दफा हैं....
क्या बुरा है एक लड़की लड़के से प्यार करती है क्या बुरा हैं वो उससे बाते करके ख़ुश होतीं है क्या बुरा है बिन मिले वो हररोज मिलते हैं क्या बुरा हैं बिन सोये वो ख़वाब बुनते हैं क्या बुरा है और क्यूँ बुरा हैं ???? जब वो ख़ुद नहीं चाहते फ़िर भी ये होता हैं
जानता हूँ मै तू आज भी क़ीमती है और कल शायद उससे ज़्यादा होगा पर तेरी कसम अब तुम्हें पाने की लालसा नहीं इस दिल को इस लिए नहीं कि बात मेरे बस की नहीं पर तुझे पाने के ख़ातिर मेने जो खोया है उसकी क़ीमत तू नहीं चुका पायेगा....