सबने कहा आज जन्मदिन है, कुछ लिख दो..
तो मैं सोचने बैठी कि एक पिता को
पंक्तियों में कैसे उतारू !!
क्योंकि माँ पर लिखना इतना कठिन नहीं, जैसे एक निर्मल झील का व्याख्यान, उसका जल, स्वच्छता, शीतलता, सब सतह से उतर आये पन्नों पर !!
पर उसी झील में सिमटे, गहरे, अनदेखे..
अद्भुत अमूल्य रहस्यों को नेत्रों में कैसे भरूँ,
वो जो सारा जीवन है संजोता रहा मुझे,
उस पिता की उदारता का उल्लेख मैं कैसे करूँ!!
-