गम को ग़ज़ल में बदलने का हुनर रखते हैं ,
सूरज हैं , अँधेरा निगलने का हुनर रखते हैं ।
ए दीये सुन , डर मत , बेख़ौफ़ हो कर जल ,
हम हवा का रुख बदलने का हुनर रखते हैं ।
उस ज़लज़ले ने पूरी कोशिश की गिराने की ,
वो तो शुक्र है हम संभलने का हुनर रखते हैं ।
ए अमीर-शेहर , इसे खाली कागज़ मत समझ ,
ये अखबार हैं , सच उगलने का हुनर रखते हैं ।
ये हमे जो डराते हैं हवाओं से , उन्हें खबर कहाँ ,
हम आँधियों के साथ टहलने का हुनर रखते हैं ।
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