हमसे दूर जाने की अक्सर ,
जिद सी क्यों, लगते हो तुम !!
पता है तुम्हें की ,मेरी चाहत हो तुम !
क्यों यार हमे, तड़फते हो तुम !
क्या मांगा है तुमसे की दे नहीं सकते,
क्यो हमे इतना सताते हो तुम !
गर जलाना चाहते हो, तो जल रहे है हम ,
सब जानते हो, फिर क्या चाहते हो तुम !
अंजान नहीं हो, की समझ ना सको,
जान के अंजान क्यों बन जाते हो तुम !
ख्वाहिश थी कि दिल का हाल पूछो,
फिर क्यों सोचते ही, रुक जाते हो तुम !!
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