शिकायतों के अंबार पड़े हैं पास हमारे, पर "प्यार" भी ज़रूरी है।
जो दिल-ओ-दिमाग़ को ताजगी से भर दे वो खुमार भी ज़रूरी है।
हाँ, ठीक है कि "अपने साथ" ही काट ली जाएगी तमाम ज़िंदगानी।
पर उम्र के उस "आख़िरी पड़ाव में" एक सच्चा "यार" भी ज़रूरी है।
जी लिए ताउम्र "दुनिया के हिसाब से" हर पल घूट-घूट कर के हम।
जहाँ पर अपने नियम हो, "अपने कानून हो" वो संसार भी ज़रूरी है।
जानता हूँ कि बहुत ही ज़्यादा दर्द मिला है तुम्हें "और भी" झेल लोगे।
पर तुम्हारे साथ जो हर स्थिति में खड़ी रहे वो जोड़ीदार भी ज़रूरी है।
"बे लगाम घोड़े हो तुम" जानते हैं हम, ता उम्र अपने हिसाब से जिया।
पर आकर के जो तुम्हें जीना सिखाए साथी वो सरकार भी ज़रूरी है।
बुरा वक़्त हर बार अच्छा वक़्त लाने के लिए ही आता है याद रखना।
सफ़लता को तुम संभाल सको इसलिए वक़्त के वार भी ज़रूरी है।
जीवन में जो तकलीफ़-समस्या नहीं आती हैं तो "बोरियत" लगती हैं।
जीवन में समस्याओं के साथ उत्पन्न स्थिति "धुआँधार" भी ज़रूरी है।
गर सब तुम्हारी तारीफ़ ही करेंगे "अभि" तो आत्ममोह में पड़ जाओगे।
इसलिए धरातल पर रखने के लिए एक सच का पहरेदार भी ज़रूरी है।
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