राजस्थानी जायो कै कै जासी ओ सोचर रोऊ
राजस्थानी गयो कै कै ग्योपरो ओ थोने बतलोऊ
इंयो तो निरी चिज्यो गयी, पण अबार खेल रमतिया बतोऊ
लुक-मिचणी खुद लुकगी , खुणा रोकणी खोइगी
पकड़नी ने पकड़ को सकिया , औंधलघोट आँधी होइगी
गिल्ली डंडा ठंडा होयग्या , ऊँच-नीच बराबर होइगी
घटी चुला घाटे में गया , कोसम्बा बाई पराई होइगी
रोटी पेल-दूज चौकी सु मिटग्या, लो-लक्कड़ प्लास्टिक होइगी
गोळो रो गोलमाल होयगा , गड़ा भाठा पक्की सड़क होइगी
टिंगर टाबर चाइल्ड होयगा, बाण्डे रमणो अब शरम होइगी
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