मेरा घर, इसकी कहानी
कुछ ख़ास, कुछ पुरानी
एक है माँ की लाडली,
कुछ ज़िद्दी, बचकानी और सयानी
दूजा है पापा की जान
दिमाग से बच्चा और शरीर से पहलवान
माँ, जो रखे सबका ध्यान
ज़रा सी देरी होने पर हो जाए परेशान
है सबके लिए केंद्र हर बात कहने का
वो पूरे घर की नींव, है साहस सब सहने का
पापा, जो पढ़ाए साहस का पाठ
रहते हैं हमेशा ठाट के साथ
बस प्यार है घर की फ़िज़ाओं में
प्यारी सी कहानी कम लफ्ज़ों में!😊
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