!! "किरदार का जीवन" !!
आपने देखे होंगे कुछ चुनिंदा लोग जो एक ही धारा के विचार रखते हैं।
आख़िर क्यों?
मुझे लगता है
वो गुलाम हैं अपने किरदार के
वो गुलाम है अपने विचारों के
वो गुलाम हैं उन रास्तों के
जिन पर वे बरसों से चल या भटक रहे हैं
वो गुलाम हैं उन मंजिलों के
जिनको वो मापदंड मानते हैं
उस किरदार का जीवन उतने तक ही है जब तक वो नए विचार इख्तियार नही कर लेते...
आपके विचार क्या हैं?
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