रात के सन्नाटे में, खुद के विचारों का,
फैलता उमड़ता, शोर अच्छा लगता है,
सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूँ,
मेरा खुद पर, जोर अच्छा लगता है,
जो मिलता है तोड़ के चला जाता है,
मुझे अकेलेपन का,दौर अच्छा लगता है,
चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए फिरता हूँ,
मुझे जीने का, ये तौर अच्छा लगता है !
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