आकाश रंग के हृदय में
जब यौवन उठा गुलाबी सा
तब प्रेम उगा नारंगी सा
और मौसम हुआ शराबी सा
तब क्या दिन थे, तब क्या शामें,
जो प्रिय तुम्हारे संग देखे
अब शब्द बनाकर लिखता हूं
जीवन में जो जो रंग देखे
जब छुआ तुम्हें तब लाल हुआ
जब दिखा करुण तब नीलापन,
फिर मिले तो सावन हरे हुए
जब था वियोग तो पीलापन
काली रातों में श्वेत चंद्र सी
धवल धवल लहराई तुम
मैं हूं कागज, कविताओं के,
शब्दों में गढ़ी कढ़ाई तुम
कत्थई आँखों के काजल से
सपनों के चित्र बनाये सब
हे प्रिय सुनो, इस जीवन में
ये रंग तुम्हीं से पाये सब
-