तुम वो चाँद सी रोशनी हो, जो बिखरती बस चाँद से है! एक पवन सी फुलवारी हो, जो बिखरती हर साँस मैं है! वो नदी बहती सी हो, जो सिमट जाती आँच मैं है! तुमको सजाऊ या बिखरने दू, तुम हर शाम मैं आज़मी हो !
Kyu wade kar mukar jate hain log, Kyu apni baton se pichhe hat jate hain log, ye sabak hai Zindagi ke jo apne hi Sikhaya karte hain har rozzzzz...— % &