इन्सान भी कुछ यूँ बदल जाता है,
कल क्या आज कुछ हो जाता है।।
कल तक पास आकर ख़ुश होता,
आज दूर से ही सरक जाता है।।
कल तक दिल में हुआ करता था,
वो दिमाग से भी निकल जाता है।।
कल तक मासूम - सा लगता था,
आज वो हैवान - सा हो जाता है।।
क्यूँ कोई किसी का दिल तोड़,
इन्सान से पत्थर बना जाता है।।
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