वो वीर बड़ा धीर खड़ा है,
ग्लवान में जिसे ललकारा है ।
हिम पथ पे शौर्य कि भांति,
जो चूमकर मिट्टी चट्टानों को गिराया है।
नतशिर हूं आज उस माँ कि,
जिसके शेरों ने सैनिक-गुंडों को धूल चटाया है।
हां, पराधीन था वो कर्तव्य पथ के,
बहा के लहू विश्व को जिसने लोहा मनवाया है।
अदम्य था उसका साहस,
अदम्य है उसका बलिदान,
भारत माँ के खातिर जो,
हो गया हर दिल अमर जवान।
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