आओ पेड़ों की जुबां से जिंदगी की हकीकत बयां करते है,
उनकी तरह ना शिकवा, ना शिकायतें... ना ही गिले करते है,
आओ इक दूजे के साथ मिलकर हम भी रहना सीखते है...
हम इक बेहतर इंसान बनकर जिंदगी का गुजारा करते है...
आओ पेड़ों की जुबां से जिंदगी की हकीकत बयां करते है।।।
सपनों की जमीं पर दिल की ख्वाहिशों के फूल खिलाते हैं,
किसी भूखे को खाना और किसी प्यासे को पानी पिलाते है,
छोड़ कर मतलब की सोच बेमतलब दिल से दिल मिलाते हैं,
क्यों हो गुनहगार किसी के, बस बेगुनाहों सी जिंदगी बिताते हैं,
बहुत हो चुका अब इन्सान को इंसान से बांटना छांटना,
बंद भी करो अब दुसरों के अंतःमन में ताकना झांकना,
तोड़ दो दीवारें सारी आये बीच में जो इंसानियत के,
उतार फेंको मुखौटे ताकि काम आ सको इक दूजे के,
आओ पेड़ों की जुबां से जिंदगी की हकीकत बयां करते है,
उनकी तरह ना शिकवा, ना शिकायतें... ना ही गिले करते है।।
-